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Lesson 1 : MOST VIRAL THING IN THIS WORLD

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 यदि दिमाग के घोड़े दौड़ रहे है ?, दिमाग में कुछ नया जानने का कीड़ा है ? जिज्ञासा की प्यास ने दिमाग को झकझोर दिया है ? , तो भैया बने रहिये , एक दम सही जगह आये हो। यहाँ बहुत कुछ है जानने को। 
      तकनिकी की दुनिया काफी सरल है। पर तकनिकी में खो कर हम अपना उद्गम ही भूल रहे है , यह भी कि आखिर हम इंसान कैसे और क्यों कहलाते है ।  
       अच्छा तो यह सब शुरू करने से पहले साथ ही साथ यह भी बता दू कि ,यहाँ सवाल यह नहीं की कौन ज्यादा आस्तिक है और कौन इंसान ज्यादा नास्तिक।  यहाँ कोई प्रतिस्प्रधा नहीं चल रही है। यंहा वे सब आमंत्रित है जो दुसरो के विचारो का सम्मान करते हुए अपना विचार प्रकट करना चाहते है और अपना मत रखना चाहते है
       तो जैसा की मैंने बताया की सवाल नास्तिक अथवा आस्तिक होने मात्र का नहीं  रहा है।  और न ही इस बेतुके सवाल से किसी को फर्क भी पढ़ना है।

       बिना समय गंवाए मुद्दे पे आते है , कुछ चीज़े बहुत वायरल हो रही है आज कल, जिनमे से कई बार काम की चीज़े वायरल होती है , तो कई बार एक अफवाह और झूठ ही होता है।  पर हम  भूल रहे है, सदियो से एक चीज़ ऐसी हुई है , जो बहुत ही वायरल हुई है , और वही चीज़ अब तक भी वायरल हो रही है।  यह चीज़ इतनी वायरल हो चुकी है की इसने वायरल होने के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए। या यूँ  कह की आज तक इस से ज्यादा कुछ भी वायरल नहीं हुआ है। यह वायरल चीज़ इंसानी दिमाग में अमर हो गयी।
           अब आप पूछेंगे की वो क्या है ?
         वो चीज़ कोई आम चीज़ नहीं है भाइयो , और यही वजह है कि वो इतना वायरल हो रही है। चूँकि उसने वायरल होने में प्रथम रैंकिंग हासिल की है , तो जाहिर है की लगभग हर कोई इसके चपेट में आया होगा।
         दिमाग पर जरा सा जोर लगाएंगे तो हमें पता चलेगा की ईश्वर ही वो चीज़ है जो सबसे ज्यादा वायरल होने वाली चीज़ है।  अब इस बात के लिए आप सबको गौरवान्वित  होना चाहिए की आपकी अपनी सबसे प्यारी कोई चीज़ इतनी वायरल है , की कोई भी इस से बच नहीं पाया है।  हर कोई इससे रूबरू है।
             
          मुद्दे की बात की जाए तो ,
         भाई हमने तो एक शब्द बहुत सुना है, और सुनते आए है , और वो है "ईश्वर"।  बस उसी को और  गहराई से जानने की कोशिश भर हो रही है।

         अब सवाल यह है कि  ईश्वर एक शब्द मात्र है, या यह सोच से कई ज्यादा है।
     
         पूछा जाए कि  इस दुनिया में सबसे कॉमन , सबसे अहम् और सबसे बेहतर शब्द क्या है ?
        तो सबका एक ही सुर में यही जवाब होगा, कि  "ईश्वर", भाई इस से बेहतर शब्द मैंने आज तक नहीं सुना । शायद ही कोई होगा , जो इस शब्द से अनजान अथवा बेखबर होगा।  ऐसा  ही है क्योंकि हर कोई इस शब्द से हर रोज रूबरू होता रहता है।  और देखा जाए तो यह अपने आप में एक बहुत बड़ी पहेली भी है , जो अब तक अनसुलझी है , और शायद इतनी आसानी से सुलझेगी भी नहीं।
       
    अच्छा तो यहाँ क्या होने वाला है ?
    यहाँ हम इसकी पड़ताल करने की कोशिश करेंगे। कई सारे सवाल जवाबो से संभावनाओ को जन्म देंगे, और इसके आस पास के सत्य को जानने की कोशिश करेंगे।  संभावनाओ को बारीकियों से अध्यन करके सुनी सुनाई कहानियो की वास्तविकता से तुलना करेंगे, और इसके पीछे के सच को जान ने की कोशिश करेंगे, कि आखिर यह चीज़ इतनी ज्यादा वायरल कैसे हुई।
          
    संक्षेप में कहु तो, आज हम इस शब्द (ईश्वर ) को नजदीक से और बारीकी से जानने की कोशिश करेंगे। अब चूँकि यह चीज़ हमारे दिमाग से सम्बन्धित है , क्योंकि यह इंसानी दिमाग में ही तो वायरल हो रही है।
        चूँकि दिमाग में यह इतनी तेजी से वायरल हो रही है , तो यह भी जानना पड़ेगा की दिमाग का इस चीज़ का क्या वास्ता।
        तो इसके लिए सबसे पहले तो हम यह जानेंगे की इंसानी दिमाग काम कैसे करता है। तब  ही पता चल पायेगा की इसके वायरल होने के पीछे असली वजह क्या हो सकती है।


         जैसा की सब जानते है दिमाग बहुत ज्यादा स्मार्ट होने के साथ ही साथ इसकी कई कमजोरिया भी है। हाँ दोस्तों ! आपने सही सुना , दिमाग की अपनी कमजोरिया।  तो उन्ही कमजोरिया के बारे में गहराई से अध्यन करेंगे तो इस पहेली का  जवाब  भी मिल जाए शायद। अथवा उम्मीद तो की ही जा सकती है।

सवाल उठता है कि          इंसानी दिमाग ने इतनी तरक्की कैसे हासिल कर ली। जबकि यह तो तय है, तब (जब इंसान बनने की प्रक्रिया हो रही थी ) कोई तरह की कौचिंग क्लासेज तो नहीं हुई होगी। फिर किन घटनाओ ने दिमाग को यहाँ तक आने के लिए प्रेरित किया होगा।
        हो सकता है उस बन्दर के जीवन में कुछ रोमांचित कर देने वाली घटनाओ ने उन बंदरो में और सिखने की चाह पैदा कर दी हो। अतः और अधिक रोमांस के लालच ने उसे सिखने का हुनर प्रदान कर दिया। इसी रोमांस को वो किसी और से जाहिर करके अपना रोमांस दो गुना करना चाहते थे। इसी बिच सिखने के हुनर ने गलती से एक क्रन्तिकारी चीज़ का अविष्कार कर दिया , उसे आप भाषा कह सकते है, (भावनाओ का आदान प्रदान )। । और यह भाषा इंसानी कॉम में अद्भुत क्रांति ले आई।
        तो स्पष्ट है , सिखने की चाह ने उन बंदरो को यहाँ पहुंचा दिया। सीखना भी अपने आप में एक कला है , सिखने की इसी कला ने ही उसे यहाँ तक पहुँचने में मदद की, और उनका नाम उन्ही के द्वारा इंसान रखा गया है। यानि निरंतर सीखना ही विकास की कुंजी है।  
             

             तो आओ ये भी जान लेते है की सिखने की शुरुआत कैसे हुई होगी ? और कैसे भाषा ने अपना साम्राज्य खड़ा किया ?
               चूँकि सिखने की शुरुआत रोमांस से शुरू हुई होगी , और रोमांस अपने आप में एक भावना(feeling) है। यानि सिखने की कला हासिल होने से पहले , भावनाओ का जन्म हुआ होगा।
                 तो जानते है कि भावनाओ का जन्म कैसे हुआ होगा।
                 कई भावनाए किसी भी जीव के जन्म के समय से उसके साथ होती है , पर इसके अलावा कुछ भावनाए है जो उसे वक़्त सिखाता है। इसकी शुरुआत शायद "स्वीकारने " अथवा "अस्वीकारने " की भावना (किसी बात पे सहमती देना अथवा असहमति जाहिर करना )से हुई होगी। जिसे हम "हाँ " अथवा "नहीं " की भावना को व्यक्त करना कह सकते है। जो धीरे धीरे संचार का अथवा भावनाओ के आदान प्रदान का माध्यम बन चुकी होगी , या यूँ कहु की "भाषा " का रूप ले चुकी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दू की आप जो कम्प्यूटर उपयोग करते है, वो इसी तर्ज पर बना था। जो की एक कृत्रिम इंसान भी है। 
  
             हाँ भाषा ही वो चीज़ है, जिसके माध्यम से इंसान आज इतनी तरक्की कर चूका है , या इससे ज्यादा तरक्की कर सकता था , पर आज वर्तमान में यह "वायरल" चीज़ विकास की गति धीमी होने की मुख्य वजह है।( पर एक ऐसा समय था जब इस वायरल भ्रम ने इंसान को तबाह होने से बचाया था। पर आज इस भ्रम की वजह से विकास धीमा हो चूका है।) 

                सब जानते है , भाषा इंसानो के विकास का इंजन बन चुकी थी। और यही  इंजन इंसानो की गाडी को यहाँ वर्तमान तक खिंच लाया।
                 तो आपका सवाल है कैसे ?
                 इसे समझने के लिए सिंपल परंतु लॉजिकल उदाहरण लेते है।

                 "सोचो की कंप्यूटर कैसे काम करता है।.. . . . . .  बिलकुल सही, आप जो  सोच रहे हो वही इसका लॉजिक है। देखो कंप्यूटर भी एक क्रत्रिम इंसान  है।  जिसे हमने यानि इंसानो ने सीखना समझना  सिखाया। उसकी भी एक भाषा है , जिससे वो हमसे कॉम्यूनिकेट कर पता है। पर कंप्यूटर की भाषा की उत्पति कहा से हुई। देखो यहाँ लॉजिक छिपा है।  इसकी उत्पति भी "हाँ " अथवा "नहीं " से हुई है। ये भी किसी काम को सहमति देने अथवा असहमति देने से शुरू हुआ। अब फर्क सिर्फ इतना है कि , हमारी भाषा में इस सहमति और असहमति को हम 'हा ' और 'नहीं ' कहते है , और कंप्यूटर इसे '0' और '1' .  ये वो भाषा है जिसे कंप्यूटर  समझता है, और कंप्यूटर के जिन्दा होने का अह्साह दिलाता है।  जैसे ही कंप्यूटर को फॉर्मेट कर देते हो वो  फिर कंप्यूटर नहीं कहलाता, वो मर जाता है। "

                 और यही सेक्रेट है कंप्यूटर की इतनी  तरक्की का। और यही सीक्रेट है  इंसान की तरक्की का।
                और साइड इफ़ेक्ट यह है की जैसे कंप्यूटर में वायरस असर करता है., और उसकी स्पीड धीमी करने के साथ साथ कई प्रॉब्लम लाता है , ठीक  वैसे ही "डर " और "अन्धविश्वास " इंसान की तरक्की की गति को धीमा कर देता है। 
   
     तो दोस्तों ये तो हुई शुरुआत की बात।  तो चलो आगे बढ़ते है।  अब हम उस जटील सरंचना , जिसे सब दिमाग कहते है , को और विश्तार से जाने।  उस दिमाग की शक्ति और कमजोरियों पे भी कुछ जानकारी हासिल करते है। जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। 
                                                                            धन्यवाद                                                                       

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