यहाँ पृथ्वीलोक पर अनगिनत महानुभव निवास करते है , जिन्हें वाक़ेई लगता है की , वो दुसरो से काफी अधिक होशियार है |
ज्यादातर को नहीं पता की होशियार और समझदार में फर्क क्या है ? और कइयों को इस फर्क से कोई फर्क भी नहीं पड़ता।
इसी मुद्दे को आधार रख कर के , इस आर्टिकल को अस्तित्व में लाने की कोशिस की जा रही है। हम सब इसी होशियारी का पोस्टमार्टम करेंगे।
इन दोनों के बिच का अंतर निम्न बिन्दुओ के आधार पर समझते है :
- होशियार हर जगह मिल जाएंगे और बड़ी ही आसानी से भी , जबकि समझदार होशियार की तुलना में कम ही है , और वे मुश्किल से नजर आते है, इसके पीछे भी लॉजिक है ,(लॉजिक : क्योंकि वे समझदार है , और यह लॉजिक काफी है यह समझाने को )।
- होशियार ओवर स्मार्ट होता है , जबकि समझदार कूल ही रहता है।
- होशियार अपनी बात को जोर देकर या ऊँचे सुर में रखने की कोशिस करता है , पर फिर भी लोग उसकी बात को गंभीर नही लेते , जबकि समझदार अपनी बात काफी ठन्डे दिमाग से रखते है , और मजे की बात है लोगो को उसकी बात में वजन लगता है , वो उसे गंभीरता से लेते है |
- होशियार व्यक्ति जितनी भी बाते करता है , उनमे से ज्यादातर में वो अपनी ही तारीफ करते दीखता है , जबकि समझदार ऐसा नहीं करते है, वे बात को महत्व देते है खुद को नहीं।
- कई रोज होशियार को हमेशा अपने आप को साबित करने की जरूरत महसूस होती रहती है , जबकि समझदार को कभी अपनी समझदारी साबित करने की जरूरत नहीं पड़ती है
- होशियारी का आकार बहुत ही बड़ा होता है, पर वो खोखली होती है , जबकि समझदारी का आकार छोटा या बड़ा हो सकता है , पर उसमे वजन होता है।
- होशियार जो दुसरो को समझने की कोशिस करता है , समझदार जो खुद को समझने की कोशिस करता है।
- होशियार ब्रेन छोटी सी समस्या से भी तनाव में आ जाते है , जबकि समझदार बड़ी समस्या को भी शांति से हल (वॉच ) करते है।
- होशियार गलतियों को आरोपित करने में माहिर होते है,और समस्या को और जटिल कर देते है , जबकि समझदार दुसरो की गलती भी खुद पे लेकर पहले समस्या हल करने पे ध्यान केंद्रित किया करते है।
- होशियार के पास ज्यादा जानकारिया होते हुए भी वो उनका सही उपयोग नहीं ले पता है , जबकि समझदार काम जानकारियो में भी उस से बेहतर कर जाता है।
- होशियार व्यक्ति प्रयाय "मैं " शब्द प्रयोग करते है , जबकि समझदार "हम " शब्द को ज्यादा अहमियत देना पसंद करते है।
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