हाँ ! इसे में एक "गेम " ही कहूंगा , क्योंकि झूठ के परदे के पीछे देखे तो यह सब एक गेम के बारे में ही है, जो सदियो से सबके साथ खेला जाता आया है। तब से जब इंसान इन बातो से अनजान था , और आज तक भी जब इंसान अनजान तो नहीं , पर अनजान बने रहना ज्यादा बेहतर समझता है।
चाहे आप कोई भी हो , किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हो , आपकी भावनाओ को ठेस पहुचाने का हमारा कतई उद्धेश्य नहीं है।
सभी विद्वानों और महानुभवो के विचारो का स्वागत है। जो अपनी राय प्रकट करना चाहता है , निचे कमेंट बॉक्स में अपनी भावनाए शेयर करे। और उन महानुभावो को भी इसी टॉयलेट को उपयोग करने की इजाजत है , जिनका पेट कुछ ख़राब ही रहता है। उन्हें कोई भी मुद्दा हजम नहीं होता।
हम में से बहुत कम लोग ही ये जानते है , की हमारे साथ "गेम " हुआ है , होता आया है , और आगे भी होता रहेगा।
भर भर के झूठ परोसा गया,आँखों पे आस्था की पट्टी बांध कर।
"ईश्वर " शब्द का उपयोग अपनी गलत कामो को छुपाने के लिए किया गया, ताकी डर कायम रखा जा सके । भ्र्म को बनाए रखा जा सके , खुद के स्वार्थ के लिए।
illusion |
ऊपर दी गयी तस्वीर पर एक नजर डाले।
इसे गौर से देखिये ,
आपको क्या दिखा \
ये बहुत ही आसान सा लगता है। पर इस तस्वीर को चुनने की वजह इसमें छिपा लॉजिक है। इसे समझने क लिए इस तस्वीर से बेहतर कोई और उदहारण नहीं हो सकता था।
उनके द्वारा डर को बनाए रखा गया। जबकि सच्चाई बहुत ही प्यारी और मासूम थी।
हमें भांति भांति के ईश्वर बताए गए । अलग अलग नाम से , अलग अलग रूप में, कभी पत्थर में तो कभी पेड़ो में। कभी तस्वीरो में तो कभी फिल्मो में।
अब तक आलम यह हो चूका था कि हर जिज्ञासा ] हर सवाल पे एक ईश्वर बिठा दिया गया था। और असर ये हुआ की तर्क का अस्तित्व सिमित हो कर रह गया ] तर्क ईश्वर के आगे झुक गया। उसे इजाजत नहीं थी ईश्वर से आगे जाने की। औरअब तर्क को नजरन्दाज करना बहुत ही आसान हो गया था ] इस जादुई शब्द का प्रयोग करके।
हमें ईश्वर के रूप रंग दिखाए गए , जबकि भगवान की कोई शक्ल सूरत नहीं थी कभी, और न ही है।
सदियों से इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी जब ईश्वर ने अपनी हाजरी पेश नहीं की, तो पृथ्वीवासियों को इस निष्कर्ष पर आना पड़ा कि ,
अगर अंतिम सत्य कुछ है, तो वो एक प्रकार की ऊर्जा है। वो ऊर्जा ही हमारा ईश्वर है। और वो ऊर्जा किसी की तरफदारी नहीं करती । वो ऊर्जा बस अपना काम किये जा रही है । उसे जो करना है वो करती रहेगी। आप के इमोशनली दुआ करने या जोरजबरदस्ती से भी आप उसके काम को रोक नहीं सकते। वो करती रहेगी , फिर चाहे वो आपके लिए अच्छा हो अथवा बुरा।
अतः अगर ऊर्जा किसी की प्रार्थना नहीं सुनती (तो उस से कुछ भी मांगना अथवा आशा रखना बेकार है ), वो प्राकर्तिक रूप से अपना काम करती रहेगी। जिसमे निर्माण करना और उजाड़ना दोनों सामील है।
बचपन से आपको ईश्वर की जो शक्ल सूरत और रूप बताया गया है। वो एक फरेब के अलावा और कुछ नहीं है। यानि ईश्वर है पर ,आपका हमारा नहीं। उसका कोई रूप रंग नहीं है। वो किसी का भला अथवा बुरा नहीं करता है। ये दोनों ही उसके प्राकृतिक क्रिया के साइड इफ़ेक्ट मात्र है।
आपके मानने न मानने से उसे कुछ फर्क नही पड़ता है। उसे लेकर आपस में लड़ना कोई समझदारी नहीं है , और न ही वो भी यह चाहता होगा।
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अगर आपको इस से आपत्ति है तो ,अपना फीडबैक अवश्य देवे, निचे कमेंट बॉक्स में।
हमारा उद्देश्य किसी की भी भावनाओ को ठेस पहचान नहीं है।
धन्यवाद
in this blog images used are taken from http://www.viralnova.com/terrifying-optical-illusions/
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