Will of GOD |
साधारणतया हमारी यह धारणा रही है, कि ईश्वर ही है जो हमसे सब काम करवाता है। हर वो चीज़ जो आज हम कर रहे है, और जो आगे करेंगे , वो हमारी मर्जी से नहीं होकर , वो सब ईश्वर की मर्जी से थी, है , और आगे भी यही होगा। हम जो भी कुछ करते है, सब उसी की मर्जी के मुताबिक होता है। उसने सब की जीवनलीला को पहले से लिख रखा है।
"जब सब कुछ पहले से लिखा जा चूका है। फिर क्यों तुम कोई काम खुद से करने की कोशिस भी कर रहे हो ?...... तुम नहीं कर पाओगे , चाहे कितनी भी कोशिश कर लो , तुम उसकी मर्जी से आगे नहीं जा पाओगे। "........... " तुम्हे ऐसा लगता है की तुम उसकी मर्जी से आगे जा पाओगे ? ..... गलत सोच रहे हो तुम। तुम्हे उसकी ताकत का अनुमान नहीं है।.... तुम ना एक घटिया इंसान हो , जो ऐसा घटिया सोच सकता है।अगर उसने लिखा होगा , तो अवश्य तुम सफल हो जाओगे , पर अगर उसने तुम्हारे लिए ऐसा नहीं लिखा.... , यूं बेवजह फड़फड़ाने से कुछ भी नहीं बदलने वाला। "
अब यदि हम हमारी इसी परंपरागत कानून के अनुसार चले, तो मुझे नहीं लगता की किसी भी गुनहगार को सजा देना लाजमी होगा। क्योंकि हमारेपरंपरागत कानून की इस धारा के मुताबिक वे निर्दोष शाबित हो जाएंगे।
एक सवालिया उदाहरण से समझते है :
तो सवाल उठता है कि : जब कोई सामान्य इंसान(क्योंकि जन्म से कोई गुनहगारपैदा नहीं होता,ऐसा होता तो उसे तब ही सजा दे दी जाती ) बलात्कार कर देता है , ( मात्र कल्पना कीजिये ) , तो हम तुरंत उस बेचारे की छवि एक गुनहगार के रूप में देखते है। तो क्यों ? , ईश्वर ने उसके लिए ऐसा घिनोना क्यू लिखा?जबकि ईश्वर तो न्याय करने वाला है , ये तो नहीं हो सकता की पहले आप किसी को किसी जुर्म के लिए उकसाओ , और फिर ये कह दो की तुमने ये जुर्म किया है , जो की उचित नहीं और तुम्हे इसकी सजा तो जरूर मिलेगी । भला यह कहाँ का इंसाफ है ? , इस हिसाब से तो गुनहगार ईश्वर ही हुआ न। क्योंकि उस बलात्कारी ने जो कुछ भी किया , वो वास्तव में उसकी मर्जी थी ही नहीं।
मेरे दिल में बलात्कारियो के लिए बिलकुल सहानुभूति नहीं है , पर फ़साना ही कुछ ऐसा है।
मेरा काम था सवाल करना , जवाब ढूँढना आपका काम है।
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